65+ Mood Off Status For Whatsapp In Hindi | Mood Off Status In Hindi

Posted on January 8, 2021 at 10:55 am

Mood Off Status In Hindi:-Enjoy the Latest Collection of 65+ Mood Off Status For Whatsapp In Hindi, Mood Off Status In Hindi, Because everyone wants different Status.

Mood Off Status For Whatsapp

Mood Off Status For Whatsapp

 

Mood Off Status In Hindi

खाली नहीं गम से “दिल का कोना कोई हम रहे या ना रहे हम पर मत “रोना कोई

 

 

उम्र कम थी ये इश्क बेहिसाब हो गया!

कुछ वक्त के बाद यह रोग लाजवाब हो गया.

 

 

न जाने हर बार ऐसा ही क्यों होता है,

जो सबको ख़ुशी देता है आखिर में वही रोता है.

 

 

 

किसी रोज यूं भी होता हमारी हालत तुम्हारी होती.

जो रात हमने गुजारी तड़पकर वह रात तुमने भी गुजारी होती.

 

 

 

पता है लाश पानी पर क्यों तैरती है?

क्योंकि डूबने के लिए ज़िंदगी चाहिए

 

 

 

 

जो ढूंढ रहे थे हमें भुला देने का रास्ता,

हमने खफा होकर उनका काम आसान कर दिया।

 

Sad Mood Off Status

 

ना सिगरेट को छुआ कभी, ना किया कोई नशा कभी,

ना आदत शराब की जाने कैसे पड़ गई हमें लत जनाब की.

 

 

Mood Off Status Hindi

 

जख्म कहां-कहां से मिले छोड़ इन बातों को

जिंदगी तू  यह बता सफर कितना बाकी.

 

Angry Mood Off Status

 

हर बार इल्जाम हम पर ही लगाना ठीक नहीं.

वफ़ा खुद से नहीं होती और खफा हम पर होते हो.

 

 

 

कभी सोचा करता था कैसे रह पाऊँगा तेरे बिना,

देख तूने ये भी सिखा दिया मुझे।

 

 

 

आरजू क्यों करूं, कि तुम मुझे चाहोगे उम्र भर.

इतना ऐतबार ही काफी है, कि मुझे भूल नहीं पाओगे उम्र भर

 

 

 

छूट गया हाथों से वो मेरे कुछ इस कदर

रेत फिसलती है जैसे बन्द मुट्ठी से

 

 

 

मैं यह नहीं कहता मेरा झुका सर मिलेगा तुम्हें

पर सुनिए, जनाब मेरी आंखों में आप का डर ना मिलेगा तुम्हें

 

 

 

नजरे बिछाकर मै तुम्हें यूँ हीं देखती रहुँ,

जो दर्द छुपा रहे हो वो मै सहती रहुँ

 

 

 

 

जिंदगी में अक्सर ये होता है,

जो दूसरों के लिए रोता है,

आखिर में उसके लिए कोई नहीं रोता।

 

 

 

 

उदास नज़रों में ख्वाब मिलेंगे,

कहीं काँटे तो कहीं गुलाब मिलेंगे

मेरी दिल की किताब को

अपनी नज़र से पढ़कर तो देखो,

कहीं आप की याद, तो कहीं आप मिलेंगे.

 

 

 

 

मैं फिर से निकलूंगा तलाश -ए-जिन्दगी में,

दुआ करना दोस्तो इस बार किसी से इश्क ना हो.

 

 

 

कुछ इस तरह से तोड़ा है ताल्लुक, उसने

एक अरसे से ढूंढ रहे हैं, हम कसूर अपना.

 

 

 

 

सीखा दिया दुनिया ने मुझे अपनों पर भी शक करना ,

वरना मेरी फितरत में तो गैरो पर भी भरोसा करना था।

 

 

 

ताज्जुब न कीजिएगा गर कोई दुश्मन भी,

आपकी खैरियत पूछ जाए ये वो दौर है जहाँ,

हर मुलाकात में मकसद छुपे होते हैं.

 

 

 

एक दिन वक्त भी साथ बैठकर रोया मेरे,

कहने लगा तू तो ठीक है बस मैं ही खराब हूं।

 

 

 

मोहब्बत से फुर्सत ही नहीं मिली,

वरना करके बताते “नफरत किसे कहते हैं.

 

 

 

जहर देता हैं कोई कोई दवा देता हैं.

जो भी मिलता हैं मेरा दर्द बढ़ा देता हैं.

 

 

 

 

एक दिन वह रो-रो कर कहने लगी,

मुझे तुमसे नफरत है,

लेकिन अगर उसको मुझसे नफरत थी,

तो वह रोई क्यों।

 

 

 

वो  क्या करेगा लेके जमाने की राहतें

जिसको तुम्हारी याद में रोना पसंद है.

 

 

 

हमने कब तुमसे मुलाकात का वादा चाहा

हमने तो दूर रहकर भी, तुम्हें हद से ज्यादा चाहा.

 

 

कसूर तो बहुत किये ज़िन्दगी में,

पर सज़ा वहाँ मिली जहाँ बेक़सूर थे हम।

 

 

 

 

हँसकर कबूल क्या कर लीं सजाएँ मैंने

ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया

हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का.

 

 

 

कभी नहीं रुलाते अपने हमें ,रुलाते तो वो हैं ,

जिन्हे हम अपने समझकर गलती कर देते हैं।

 

 

 

 

कोरे कागज से इस जिंदगी पर, जो भी लफ्ज़ उभरे हैं!

इनमें जिक्र सिर्फ उनका है, जो मेरे ना होकर भी मेरे हैं.

 

 

 

 

उस शहर में ज़िंदा रहने की सजा काट रही हूं

जहां जज्बातों की कोई कदर ही नहीं.

 

 

 

जो मेरे सब्र पर हैरान है, उनसे कह दो. जो आंसू जमीन पर नहीं गिरते, वह दिल चीर जाते हैं!

 

 

 

 

रोज एक नयी तकलीफ,

रोज एक नया गम,

न जाने कब एलान होगा की मर गए है हम.

 

 

 

गर्दिश भी, लाचारी भी,

और उसके ऊपर खुद्दारी भी,

कैसे कर लेते हो यार “इश्क भी दुनियादारी भी

 

 

 

अगर तुम अजनबी थे तो लगे क्यों नहीं,

और अगर मेरे थे तो मुझे मिले क्यों नहीं।

 

 

 

अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आंसू.

अभी तो छेड़ी ही कहा हे दर्द-ए-दिल की दास्तान हमने

 

 

 

मोहब्बत नही थी तो एक बार समझाया तो होता,

बेचारा दिल तुम्हारी खामोशी को इश्क़ समझ बैठा।

 

 

 

कभी टूटकर बिखरो तो मेरे पास आ जाना,

मुझे अपने जैसे लोग बहुत पसंद है।

 

 

 

किसी ने पूछा सच्ची मोहब्बत की निशानी क्या है,

मैंने कहा उसके बाद किसी से मोहब्बत नहीं होती

 

 

 

नासमझ तो वो ना थे इतना,

के प्यार को हमारे समझ ना सके.

 

 

 

कभी नहीं रुलाते अपने हमें ,रुलाते तो वो हैं ,

जिन्हे हम अपने समझकर गलती कर देते हैं।

 

 

जिंदगी सारी उम्र संभालती रही, दो पांव पर.

मौत ने आते ही कहा मुझे चार कंधे चाहिए!

 

 

 

हैरान हूँ मैं तुम्हारी हसरतो पर,

तुमने सब कुछ माँगा मुझसे बस मुझे छोड़ कर.

 

 

 

किन लफ़्ज़ों में बंया करूँ दर्द-ए-दिल को मैं,

सुनने वाले तो बहुत हैं, समझने वाला कोई नही.

 

 

 

बात करनी थी, बात कौन करे

दर्द से दो-दो हाथ कौन करे

हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं

चाँद न हो तो रात कौन करे.

 

 

ये तो ज़मीन की फितरत है की,

वो हर चीज़ को मिटा देती हे वरना,

तेरी याद में गिरने वाले आंसुओं का,

अलग समंदर होता।

 

 

 

साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तो,

जब अपने याद करना छोड़ दे, मौत तो उसे कहते है.

 

 

 

लोग बदलते नहीं है बस उनकी ज़िंदगी में हम से बेहतर लोग आ जाते हैं,

और यहाँ हर कोई बेहतर की तलाश में होता है।

 

 

 

पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,

दिल में क्या है वो बात नही समझती,

तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है

पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती.

 

 

 

रोज रोज हर रोज आप मेरा दिल तोड़़ते हो,

कभी कभी इसको जोड़ने की भी मोहलत दे दिया करो.

 

 

 

 

बाज़ार बड़ा मंदा है साहेब

ख़ुशी की किल्लत है और

ग़म कोई ख़रीद नहीं रहा.

 

 

 

वही किस्सा वही तेरी बेरुखी और वही तुम,

एक ही एहसास हम कितनी बार लिखें।

 

 

 

आज रास्ते में कुछ प्यार भरे पन्ने टुकड़ो में मिले,

शायद फिर किसी गरीब की मोहब्बत का तमाशा हो गया.

 

 

 

कभी मिले तुम्हे फुरसत तो इतना जरुर बताना,

वो कौनसी मौहब्बत थी हम तुम्हे दे ना सके

 

 

 

ऐ ज़िंदगी काश तू ही रूठ जाती मुझ से,

ये रूठे हुए लोग मुझ से मनाये नहीं जाते

 

 

तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में

लबों तक आते आते तुम ग़ैर हो गए.

 

 

 

चलो अब जाने भी दो,

क्या करोगे दासता सुनकर.

ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं,

और बयां हमसे होगी नहीं.

 

 

शब्द भी हार जाते हैं कई बार जज्बातो से ,

कितना भी लिखो कुछ न कुछ बाकी रह ही जाता है।

 

 

 

तेरा हाथ पकड़ कर तुझे रोक लेते अगर,

तुझ पर थोड़ा सा ज़ोर होता मेरा,

ना रोते हम यूँ तेरे लिए अगर,

हमारी ज़िन्दगी में कोई और होता।

 

 

 

कैसे कहु के दिलको तुम्हारी आरजू नही ,

मगर ये और बात है के , मेरी किस्मत में तुम नहीं.

 

 

मेरे अकेलेपन को मेरा शौख ना समझो यारो,

बड़े ही प्यार से तोहफा दिया है किसी चाहने वाले ने.

 

 

उसके दिल पर भी, क्या खूब गुज़री होगी,

जिसने इस दर्द का नाम, मोहब्बत रखा होगा.

 

 

इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गयी,

ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो,

आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नही.

 

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